Contents
- स्वयंसेवी संगठनों का गोरखधंधा
- खुले समाज पर सख्त पहरा
- इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता सुधारें
- कैशलेस इकॉनमी का ब्लैक होल
- पूर्वोत्तर में उग्रवाद की नई फसल
- एटमी हथियारों से मुक्ति का सपना
- गेहूं की बंपर फसल का रास्ता साफ, रस्ट की समस्या होगी दूर!
स्वयंसेवी संगठनों का गोरखधंधा
सन्दर्भ:
स्वयंसेवी और गैर-सरकारी संगठन, भारत की कालजयी सनातन संस्कृति और बहुलतावाद पर चोट पहुंचाने में जुटे हैं।
खुले समाज पर सख्त पहरा
सन्दर्भ:
आखिर इस इक्कीसवीं सदी में हम पहली सदी की ओर मुड़-मुड़कर क्यों देखते हैं। क्यों उस तरफ दौड़ लगाने को उतावले हैं। क्यों हम हर आजादी और अधिकार को संस्कृति के सर्वनाश की तरह देखते हैं।
इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता सुधारें
सन्दर्भ:
वर्तमान समय में देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत खस्ता है।
कैशलेस इकॉनमी का ब्लैक होल
सन्दर्भ:
कैशलेस इकॉनमी के पक्ष में एवं उसके विपक्ष में विश्लेषण।
पूर्वोत्तर में उग्रवाद की नई फसल
सन्दर्भ:
अतीत में भी पूर्वोत्तर के उग्रवादी गुटों ने ऐसे साझा संगठन खड़े किए थे, लेकिन शांति वार्ता और उनकी आपसी गुटबाजी से बिखराव हुआ। अबकी बार चुनौती कहीं बड़ी है। विदेशी खुफिया एजंसियों की सक्रियता बड़े पैमाने पर है। हथियार और धन का प्रवाह ज्यादा है। उग्रवादी गुटों की ताजा रणनीतिक सक्रियता के मूल में भी यही कारण रहे हैं।
एटमी हथियारों से मुक्ति का सपना
सन्दर्भ:
न केवल नाभिकीय हथियार निर्माण सक्षम देशों बल्कि समस्त विश्व की सुरक्षा सुनिश्चित करने का बेहतर विकल्प यह होगा कि विश्व में नि:शस्त्रीकरण आंदोलन को बढ़ावा दिया जाए
गेहूं की बंपर फसल का रास्ता साफ, रस्ट की समस्या होगी दूर!
सन्दर्भ:
गेहूं की फसल के विकास एवं शोध में लगे वैज्ञानिक लंबे समय से रस्ट (रतुआ) की समस्या से दो-चार होते आ रहे हैं। लेकिन अब हमारे कृषि वैज्ञानिक रस्ट पर काबू पाने का एक ऐसा तरीका तलाशने के करीब पहुंच गए हैं जो प्रतिरोध के विभिन्न स्रोतों की पहचान से जुड़ा हुआ है।